यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
लाल डोरिया तैरने लगी जो आंखों में
दिल मचलने लगा हासिल कर लेने को
उसे ही प्रेम कह दिया गया
स्त्रियों ने
प्रेमिकाओं ने
पुरुष में सुंदरता नहीं चुनी
प्रेम कथाओं में इसका जिक्र नहीं कही
प्रेम के अंतरंग पलों में
स्त्री और पुरुष दोनों ने
स्त्री देह को भोगा है
स्त्री ने सिर्फ यह चाहा
कि सुंदरता का बोध उसमें मरने न दिया जाए
वह प्रेम के बोध को अंतस में जिलाये रखेगी उम्र भर
ताजमहल के गुम्बद पर
खून के छोटे हैं
संगरमर लाल है
एक रानी के सोंदर्य बोध में बौराये बादशाह ने
नींव में दबे पत्थरों का
सौंदर्य बोध छीन लिया
सुंदर लड़कियों को
अधिक प्रेम मिलता है पति से
माँ बता रही थी
मां स्त्री की विशेषता नहीं
पुरुष की कमजोरी बता रही थी
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 110