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और इधर से उधर रख देता है
राजा का सिर किसी के हाथ में होना
शतरंज का खेल है
और देश
शतरंज की बिसात नहीं होता
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 112
और इधर से उधर रख देता है
राजा का सिर किसी के हाथ में होना
शतरंज का खेल है
और देश
शतरंज की बिसात नहीं होता
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 112