यह पृष्ठ जाँच लिया गया है।
और कर बैठी प्रेम
तब तुम
ये तो ना कहोगे
कि कुल कलंकिनी
क्यो याद नहीं रखा तुमने
कि लडकी हो तुम
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 65
और कर बैठी प्रेम
तब तुम
ये तो ना कहोगे
कि कुल कलंकिनी
क्यो याद नहीं रखा तुमने
कि लडकी हो तुम
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 65