पृष्ठ:वीरेंदर भाटिया चयनित कविताएँ.pdf/७

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आधुनिक जीवन मूल्यों की वाहक और वैज्ञानिक चेतना से लैस हो। साथ ही हाशिये में पड़ी धाराओं को भी गहराई से अभिव्यक्त करती हो, विशेष रूप से उन आवाजों को जिन्हें मुख्यधारा की आवाजों के शोर में बहुत कम सुना या फिर अनसुना कर दिया जाता है। ऐसी आवाज वर्ग, जाति, धर्म, लिंग, क्षेत्र जैसे विभाजनों से ऊपर, सत्ता प्रतिष्ठानों, सत्ता के केंद्रों, शहर महानगर के अभिजात्य इलाकों से दूर गाँवों, कस्बों, जनपदों में बसे लोक का प्रतिनिधित्व करती है। समकाल की आवाज अपने समय व समाज के आभासी यथार्थ को ही नहीं दिखाती है, बल्कि उसके सारतत्व तक ले जाती है और मानवीय संवेदनाओं का विस्तार करती है। उस आवाज में किसी तरह का तामझाम या दिखावा नहीं होता है, वह पहाड़ी नदी की तरह पारदर्शी होती है।

समकाल की आवाज हमारे समय के साहित्य, संगीत, कला, सिनेमा, राजनीति के माध्यम से सुनी जाती है। समकालीन साहित्य इसका सबसे बड़ा जरिया है। हम 'समकाल की आवाज' शृंखला के माध्यम से साहित्य में मौजूद इस आवाज को पकड़ने और सामने लाने की एक छोटी-सी कोशिश कर रहे हैं। यह एक शुरुआत है। हम इस सिलसिले को बहुत दूर तक ले जाना चाहते हैं। आरम्भ हम कविता से कर रहे हैं। इसके अंतर्गत हमने हर कवि की चयनित कविताएँ आमंत्रित कीं और साथ में उनका आत्मवक्तव्य। हम कविताओं और उनकी रचना प्रक्रिया के रास्ते समकाल की आवाज को सुनना-समझना चाहते हैं। इस चयन में हमने वरिष्ठता या कनिष्ठता का कोई ध्यान नहीं रखा है। हमने दूर-दराज क्षेत्रों से इसकी शुरुआत की है। जिन रचनाकारों तक हम पहुँच पाए हमने उनसे पांडुलिपि आमंत्रित की। हाँ, यह कोशिश जरूर की कि हर तरह की पहचानों को इसमें प्रतिनिधित्व मिल सके। बावजूद इसके हम उसमें पूरी तरह खरे नहीं उतर पाए। यह हमारी पहुँच की सीमा कही जा सकती है। आगे हम पूरा प्रयास करेंगे। हमें आशा है हमारी इस महत्वाकाँक्षी परियोजना को आपका समर्थन मिलेगा। हम इस शृंखला में सम्मिलित सभी कवियों का हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं कि उन्होंने बहुत कम समय में हमारे अनुरोध को स्वीकार करते हुए अपनी पांडुलिपि हमें भेजी। साथ में हम अपने उन तमाम सहयोगियों का भी आभार व्यक्त करते हैं, जिनके सहयोग से यह परियोजना सम्भव हो पाई।

-चयन मण्डल
न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन

 

वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 7