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कि राजा को शोंक बहुत है मेले लगाने का
वे मेला लेकर दिल्ली आ रहे हैं
गण
पहली बार
दिल्ली आ रहा है
स्वागत करो दिल्ली उनका
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 73
कि राजा को शोंक बहुत है मेले लगाने का
वे मेला लेकर दिल्ली आ रहे हैं
गण
पहली बार
दिल्ली आ रहा है
स्वागत करो दिल्ली उनका
वीरेंदर भाटिया : चयनित कविताएँ 73