पृष्ठ:वेद और उनका साहित्य.djvu/१६५

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प्राठवां अध्याय ] - (२) तैत्तिरीय प्रातिशाख्यसुत्र इंगलिश अनुवाद सहित Jour- cal of the American Oriental Society Vol. 9 New Haven 1871. (३) क, वाजसनेय प्रातिशाख्य सूत्र सम्पादक पी० वी० पाठक । वनारस १८८३-८८ वेवर कृत जर्मन अनुवाद सहित, Ind. Stud. 4 65-160 177-331, AB 1, pp. 69 ff. (४) प्रतिज्ञा सूत्र-वेवर संस्करण (५) अथर्ववेद प्रातिशाख्य-सम्पादक विश्वबन्धु विद्यार्थी शास्त्री मथमभाग पंजाब यूनीवर्सिटी (६) साम प्रातिशास्य सत्यव्रत सामश्रमी द्वारा 'उपा' कलकत्ता में १८९० में सम्पादित (७) पुष्पसूत्र जर्मन अनुवाद सहित, सम्पादक R. Simon, A Bay A. 1909, pp. 481-780 (८) पञ्चविध सूत्र जर्मन अनुवाद सहित by R. Simon, Braslan 1913 ( lodiscbe Foreschungen uir. 5 (6) शिक्षा संग्रह -बनारस संस्कृत सेरीन, कल्प शिक्षा के पश्चात् दूसरा वेदांग कल्प है, जिसका विस्तृत वर्णन अगले अध्याय में विस्तार से करेंगे। व्याकरण पद पाठों से प्रतीत होता है कि उनके रचयिताओं ने केवल उच्चारण और सन्धियों के सम्बन्ध में ही छानबीन नहीं की किन्तु वे व्याकरण के अनुसार शब्दों की व्युत्पत्ति करनी भी बहुत अच्छी नानते थे, क्योंकि नह समास के दोनों भागों, क्रिया और उपसगाँ तथा शब्द और प्रत्ययों