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पृष्ठ:वेद और उनका साहित्य.djvu/३१

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[ वेद और उनका साहित्य सप्तर्पिमंडल पूर्वापाद नक्षत्र में था । इस तरह परीक्षित के जन्म से महा- म के अभिषेक को १०१५ वर होते हैं। परीक्षित का जन्मकाल ही कलि का प्रारम्भ काल है। इस प्रकार ईमा से १५०० वर्ष पूर्व कलि- काल का प्रारम्भ हुथा समझना चाहिये । यह बात एक प्रकार से निर्विवाद है कि वशिष्ठ थौर विश्वामित्र समकालीन थे । ये दोनों ही पंजाब के सूर्यवंशी राजा सुदास कालीन धे। सुदास के वहाँ इनने यज्ञ कराया था । वशिष्ट के पुत्र शक्ति-शक्ति के पाराशर-पाराशर के ग्यास-प्यास के शुकदेव थे। व्यास ही के शिष्य वैशम्पायन धे। गाधिपुष विश्वामिन-विश्वामित्र के पुत्र मधुच्छन्द धे । इस हिसाव मे महाभारत के जीवित पात्र व्यास, वैदिक ऋषि वशिष्ठ की चौथी पाँचवी पीढ़ी के व्यक्ति साबित होते हैं। श्रम अगर महाभारत के काल पर दष्टि दी जाय तो वह निश्चय ही पाणिनी के व्याकरण से पूर्व का अवश्य है। पाणिनी ने छठे अध्याय में महाभारत के पात्रों का उल्लेख किया है। श्राश्वलायन गृह्य सूत्रों में भी महाभारत का उल्लेख है । तब महाभारत सूवयुग के प्रथम को वस्तु तो है ही फिर चाहे उसका कुछ ही अंश उस समय का हो। सूत्र युग के लगभग का ही दर्शनकाल है। तर यदि महाभारत को भी दर्शनकाल का ग्रन्थ कहें तो धनुचित न होगा। इसपे प्रथम का युग उपनिषद युग था और इससे पूर्व ब्राह्मए युग चौर उसके पूर्व का युग वैदिक युग है। उप- निपद और ग्राम्हण युग के बीच में कोई सीमा निर्दिष्ट करना मुश्किल है। हमारा तो विरास है कि ब्राम्हण युग और उपनिषद युग सम. कालीन है । बाम्हण, कर्मकापियों का अर्थात् प्राम्हणो का साहित्य है तथा उपनिषद क्षत्रियों का ज्ञानकारियों का साहित्य है। ऋग्वेद के दशम मंडल का और अथर्ववेद के रचनाकाल का यही युग है। यही समय था जब क्षत्रियों और पार्यों में प्राधान्य के लिए बड़ी भारी प्रतद्वंदिता चली थी। भूगु का चन्द्रवंशी राजाओं से विद्रोह, तथा क्षत्रियों का