पृष्ठ:वेद और उनका साहित्य.djvu/६७

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[वेद और उनका साहित्य । इस मनोरंजक कथानक में रात्रि के अन्धकार के बाद पूर्ण प्रकाश के फैलने का रूपक है। प्रकाश की किरणों की उन पशुओं में समानता की गयी है जिनकी खोज इन्द्र कर रहा है। वह सरमा को खोज में भेजना है, यह सरमा 'उपा' है। मरमा उस विलु अर्थान् गह्वर को पा लेती है जहाँ अंधकार एकत्र था। पनिम ही अंधकार है। वह उसे ललचाता है। परन्तु सरमा नही वहकती। यह इन्द्र के पास लौट भाती है । वह प्रकाश करता है। मैक्समूलर का अनुमान है कि ट्राय का युद्ध इसी वैदिक कथा के आधार पर लिखा गया है। यह वह युद्ध है जो प्रतिदिन पूर्व दिशा में सूर्य द्वारा हुया करता है और जिसका दीप्तिमान धन प्रतिदिन सन्ध्या समय पश्चिम दिशा से छीन लिया जाता है । मैक्समूलर साहब के मत से इलिअन-ऋग्वेद का विलु है। पेरिस वेद का पनिस है जो कि ललचाता है और हेलेना सरमा है, जो वेद मे लालच को रोकती है, परन्तु यूनानी पुराण में ललचा जाती है। अब 'यादित्य' की बात सुनिए जो अदिति का पुत्र है। अदिति का अर्थ-अभिन्न, अपरिमित थोर अनन्त है और जर्मन के प्रख्यात डाक्टर के मन में इस शब्द का अर्थ 'अनादि धौर अनिवार्य ईश्वरीय प्रकाश है। इस अनन्त में वह भाव है जो दृष्य जगत् अर्थात् पृथ्वी मेघ और आकाश से भी परे का घोतक है । ऋग्वेद में धादियों का स्पष्ट विवरण है । मं०२। सू २. में वरुण-मित्र के सिवाय अर्यमत, भग, दक्ष धौर थंस का भी उल्लेख है । मं० १ ० ११४ ता. मं० १० सू. ७२ में यादियों की संख्या ७ कही गयी है। इन्द्र अदिति का पुत्र है धौर सवित्र-सूर्य भी श्रादिन्व माना गया है इसी भाँति पृषण और विष्णु भी लो कि सूर्य के ही नाम हैं, अादित्य हैं। आगे चलकर नव वर्ष १२ मासों में बाटा गया तब धादियों की संख्या भी १२ स्थिर 1 -