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पृष्ठ:वेद और उनका साहित्य.djvu/९

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४ [ वेद और उनका साहित्य कर डाला । इसके बाद ही लेमन साहव का वित्ता पूर्ण वृहद् ग्रन्थ Indische-Alterthumskunde प्रकाशित हुधा । वेकर साहब ने शुक्ल यजुर्वेद और उसके ब्राह्मणों थीर सूत्रों को प्रकाशित किया । और अपने Indische-Sludicn में बहुत से मन्दिग्ध विपयों की व्याख्या की और संस्कृत साहित्य का प्रामाणिक वृत्तान्त प्रकाशित किया फिर वेनधी साहब ने सामवेद का एक बहुमूल्य संस्करण प्रकाशित किया। अन्त में प्रो मेक्समूलर ने समस्त प्राचीन संस्कृत साहित्य को समय के क्रम से सन् १८५६ में क्रम बद्ध किया। साथ ही सायण भाष्य के साथ ऋग्वेद भाष्य भी प्रकाशित किया । इस प्रकार यह दुर्लभ और परमगोप्य वैदिक साहित्य विद्यार्थियों के लिये सुगम हो गया । भारतवर्ष में डाक्टर हाँग माहिब ने ऐतरेय ब्राह्मण का अनुवाद प्रकाशित किया। इसके बाद ऋषि दयानन्द सरस्वती ने ऋग्वेद संहिता का हिन्दी अनुवाद सर्व प्रथम किया। फिर यजुर्वेद का भी उनने सरल हिन्दी में अनुवाद किया । बगाल के पंडित सत्यवन सामश्रमी ने सायण के भाग्य सहित सामवेद का एक अच्छा संस्करण प्रकाशित कराया। इनने महीधर की व्याख्या के सहित शुक्ल यजुर्वेद को भी सम्पादित किया और एक निरुक्त का उत्तम संस्करण निकाला। इस प्रकार दुर्धर्षवेद गत १०० वर्षों में सार्वजनिक संपत्ति होने की श्रेणी तक था गये हैं। अब तक इन के योरुप और भारत में जो संस्करण प्रकट हुए हैं उन सब की सूची इस प्रकार होती है। ऋग्वेद १-(क) भाप्य:--- (१) सायण भाष्य, शब्दानुक्रमणि का प्रतीक मूची सहित। सम्पादक मैक्समूलर (पृ. मं. १८५६-७१ द्वितीय सं० लंडन) १८६०-६२