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पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/१६१

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वेनिस का बाँका
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है' मैं समझती थी कि फ्लोडोआर्डो है, ऐ है क्या धोखा हुआ।

यह सुन अबिलाइनो ने उसके निकट जाकर उसे पृथ्वी से उठाना चाहा पर वह भीत होकर दूर हट गई॥

अविलाइनो―(बाणी परिवर्तन कर) 'सुनो रोजाबिला जिस को तुम फ्लोडोआर्डो समझे थीं वह वास्तव में अविला- इनो था'॥

रोजाबिला―(उठकर और कामिला के समीप जाकर 'झूठ वकता है! ऐ दुष्ट तू कदापि फ्लोडोआर्डो नहीं है! कहाँ तू कहाँ वह! भला क्यो कर सम्भव है कि तुझसा विकृत राक्षस फ्लोडोआर्डो कासा स्वरूपमान देवता हो' फ्लोडोआर्डो का चाल ढाल और चलन देवताओं के समान था। उसने मेरे हृदय में उच्च अथच उत्तम कार्यो तथा भावों के स्नेह का बीजारोपण किया और उसीने मुझको उनके करने का साहस दिलाया। उसका हृदय सम्पूर्ण बुरे विचारों से रहित था और उसमें केवल प्रशस्त और प्रशंशनीय बातें भरी थीं। आजतक फ्लोडोआर्डो कभी सत्कार्य्यो के करने से पराङमुख नहीं हुआ, चाहे उसे कितनी ही आपत्ति क्यों न सहन करनी पड़ी हो। उसका अनुराग सदैव इसी विषय की ओर विशेष था कि जहाँ तक हो सके दीनों और अनाथों की सहायता करे! ऐ दुष्ट न जाने कितने निरपराधी तेरे हाथ से मारे गये होंगे और कितने गृह तेरे कारण से सत्यानाश हुये होंगे। स्मरण रख कि जो तूने फिर फ्लोडोनार्डो का नाम मेरे सामने लिया तो अच्छा न होगा॥

अबिलाइनो―(अत्यंत स्नेहपूर्वक) 'क्यों रोज़ाबिला अब तुम मुझसे निर्दयता करोगी? देखो रोजाबिला समझ लो कि 'मैं और तुमारा फ्लोडोआर्डो' दोनों एकही पुरुष हैं॥

यह कहकर उसने अपनी दाहिनी आँख पर से पट्टी हटा