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पृष्ठ:वेनिस का बाँका.djvu/६३

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वेनिस का बांका
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हमको पर्वत के उच्च शिखर पर खींच कर लाई है अतएव यहाँ से बचने के लिये या तो हम कोई अपूर्व साहस का कार्य्य करेँगे, अथवा किसी घोर गर्त्त के भीतर गिर कर सदैव के लिये अपयश से निवृत्त होंगे। अब दूसरी बात यह है कि हमारे आवश्यक व्यय क्योंकर चलेंगे और लोग क्यों कर हमारे सह- योगी होंगे। इस प्रयोजन के लिये हम को उचित है कि वेनिस में जितनी सुन्दरी स्त्रियाँ हैं उन्हें जिस युक्ति से सम्भव हो अपना सहायक बनायें, क्योंकि जिस बात को हम अपने उद्योगों से, बांके लोग अपने कटारों से, और धनवान अपने धन से न कर सकेंगे उसे यह कुरङ्गाक्षियाँ एक दृष्टि से कर लेंगी। जहाँ शूली का भय और धर्मनेता लोगोंका उपदेश कोई प्रभाव नहीं उत्पादन कर सकता, वहाँ प्रायः एक चुम्बन और संयोग का आशाप्रदान अद्भुत कौतुक दिखलाता है। इनकी मोहनी मन्त्र पूरित आँखें बड़े २ सयानों को अपना चाकर बना लेती हैं और उनका एक बार का चुम्बन बहुत काल के ठीक किये हुये सिद्धान्तों को मिटा देता है। परंतु यदि तुम इन स्त्रियों पर अधिकार लाभ करने में कृतकार्य्य न हो अथवा तुमको इस बात का भय हो कि जो जाल तुमने दूसरों के लिये बिछाया है उस में स्वयं फँसजावोगे तो ऐसी दशा में तुम्हें उचित है कि धर्म्मयाजक लोगों पर अपना अधिकार जमाओ। उनकी स्तुति करो और उनको विश्वास दिलायो कि उस समय वेही सबसे बड़े पदों पर नियुक्त होंगे, विश्वास रक्खो कि ऐसा करने से वे तत्काल वंचित होकर तुम्हारे कपट में पड़ जायँगे। इन छलियों को वेनिस के स्त्री और पुरुष, धनाढ्य और कंगाल, नृपति और पदाति सभों के हृदय पर ऐसा अधिकार प्राप्त है कि जिस ओर चाहें उनकी नकेल फेर सकते हैं। इस रीति से बहुत से लोग हमारे सहायक हो