उनके स्मरण में भर कर पी―तूने यह सुख अपना रुधिर प्रवा- हित कर प्राप्त किया है॥"
लोमेलाइनो―"निस्सन्देह महाराज! मुख्याति लाभ करने में ऐसाही स्वाद है परन्तु सच पूछिये तो आपहीकीं अनुकंपा से मैंने सुयश लाभ किया और आपही के कारण से यह सुख्याति प्राप्त की। संसार में कोई जानता नहीं कि लोमे- लाइनो कौन है यदि वह डालमेशिया और सिसिलिया में प्रख्यात अंड्रियास की ध्वजाके नीचे न लड़ा होता। और वेनिस को सदैव स्मरणीय बनाने के लिये विजय के चिन्हों को एकत्र करने में सहायता न की होती॥"
अंड्रियास―"मेरे अच्छे लोमेलाइनो! पुर्तगाल की मदिराने तुमारे विचारों की वृद्धि कर दी है॥"
लोमेलाइनो―"महाराज! मैं भली भांति जानता हूँ कि मुझे आप के सामने इस प्रकार आप की प्रशंसा करनी न चाहिये परन्तु बिश्वास कीजिये कि अब मेरा समय स्तुति करने का नहीं रहा। यह काम तो मैं नवयुवकों को समर्पण करता हूँ जिनकी नासिकामें अद्य पर्यंत बारूद की गंध तक नहीं गई है और जो कभी वेनिस और अंड्रियास के लिये रणभूमि में नहीं लड़े॥"
अंड्रियास―"तुम तो हमारे प्राचीन हितैषी हो, परन्तु क्या तुम अनुमान करते हो कि इंगलिस्तानाधिपति की भी तुमारी ही सी सम्मति है?"
लोमेलाइनो―"मेरे जान तो यदि पंचम चार्ल् सको उसके सभासदोंने भ्रान्त बना रक्खा हो, अथवा यह अपने आप इतना अभिमानी हो गया हो कि निज शत्रुकी वीरता को जिह्वा पर लाते लज्जित होता हो, तबतो दूसरी बात है, नहीं तो उसे अवश्य कहना पड़ेगा कि मे दिनी पृष्ठ पर एकही पुरुष ऐसा है जो मेरा