अंड्रियास-―क्यों बेटी तुम नृत्य करने में क्यों नहीं योग देतीं!
रोजाबिला―एक तो मैं थक गई हूँ और दूसरे इस इच्छो से यहाँ ठहरी हूँ कि तनिक देखूँ तो कि यह व्यक्ति फ्लोडो आर्डो जिसकी लोमेलाइनोने इतनी प्रशंसा की, कौन है और कैसा है। कहिये तो पिताजी मैं सच कह दूँ। मुझे पूर्ण विश्वास है कि मैं उसे जानती हूँ। मैंने अभी एक पुरुष यूनो- नियों की प्रणाली का अवलोकन किया है, जिसका ढंग इतना निराला था कि वह उस समारोह में मिल न सकता था, तनिक मी ज्ञानपात्र मनुष्य उसे सहस्त्रो से पृक कर सकता है वह पुरुष एक दुबला पतला लाँबा सजीला युवा पुरुष है जिसकी चाल ढाल से सुन्दरता की भी पराकाष्ठा होती है।
अण्ड्रियास―(मुसकुराकर और अपनी उँगुलियों से धम- काकर) "बेटी! बेटी!!"!
रोजाबिला―नहीं ममपूज्य पितृव्य! जो कुछ मैंने कहा वह केवल सत्यता और न्याय की दृष्टि से था, संभव है कि वह पुरुष जो यूनानी परिच्छद धारण किये था और फ्लोडो दो पुरुष हों परन्तु लोमेलाइनो के वर्णन के अनुसार-महोदय! यह देखिये तनिक अभिमुख अवलोकन कीजिये वह यूनानी खड़ा है।
अण्ड्रियास―और लोमेलाइनो भी उसके साथ हैं दोनों आते हैं। प्यारी रोजाबिला तुमारा अनुमान बहुत ठीक उत्तरा!।
भूमिनाथ की बात समाप्त भी न होने पाई थी कि लोमेला- इनो एक लम्बी डील के युवक को जो उत्तम यूनानी परिच्छद धारण किये था साथ लिये हुए आपहुँचा॥
लोमेलाइनो―महारोज! कौंट फ्लोडोआर्डो आप के समक्ष