पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/११

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138. मागध स्कन्धावार–निवेश
139. प्रयाण
140. शुभ दृष्टि
141. मागध मंत्रणा
142. प्रकाश–युद्ध
143. लघु विमर्श
144. व्यस्त रात्रि
145. अभिसार
146. सांग्रामिक
147. द्विशासन
148. रथ–मुशल–संग्राम
149. कैंकर्य
150. महाशिलाकण्टक विनाशयन्त्र
151. छत्र–भंग
152. आत्मसमर्पण
153. दृग-स्पर्श
154. विराम–सन्धि
155. अश्रु-सम्पदा
156. पिता–पुत्र