30. मृत्यु-चुम्बन
यह सब देख कुण्डनी के संकेत को पाकर सोमप्रभ ने पुकारकर कहा—"सब कोई सुने! यह मगध सुन्दरी है, जिसे असुर नहीं भोग सकते। जो कोई इसका चुम्बन आलिंगन करेगा, वही तत्काल मृत्यु को प्राप्त होगा।"
असुरों में अब सोचने-विचारने की सामर्थ्य नहीं रही थी। 'चुम्बन करो, चुम्बन करो', सब चिल्लाने लगे।
शम्बर ने हाथ का मद्यपात्र फेंककर हकलाते हुए कहा—"सब कोई इस मानुषी का—चुम्बन करो।"
सोम ने क्रुद्ध होकर कुण्डनी की ओर देखा। फिर उसका अभिप्राय जान सोम ने कहा—"जो कोई चुम्बन करेगा, वही मृत्यु को प्राप्त होगा। महान् शम्बर इसको न भूल जाएं।"
"शम्बर सब जानता है। उसने बहुत देव, दैत्य, गन्धर्व और मानुषियों का हरण किया है, कहीं भी तो ऐसा नहीं हुआ। दे, सौ ऐसी तरुणियां दे रे मानुष, यदि मेरी मैत्री चाहता है।" शम्बर ने मद से लाल-लाल आंखों से सोम को घूरकर कहा।
कुण्डनी नृत्य कर रही थी। जब बहुत-से असुर तरुण हंसते हुए उसका चुम्बन करने को आगे बढ़े, तो कुण्डनी ने एक छोटी-सी थैली वस्त्र से निकालकर उसमें से महानाग को निकाला और कण्ठ में पहन लिया। यह देख सभी तरुण असुर भयभीत होकर पीछे हट गए। कुण्डनी ने उस नाग का फन पकड़कर उसके नेत्रों से नेत्र मिला नृत्य जारी रखा। कभी वह शम्बर के पास जाकर ऐसा भाव दिखाती, मानो चुम्बनदान की प्रार्थना कर रही हो, कभी सोम के निकट जा अपना अभिप्राय समझाती। कभी असुरों के निकट जा लीला-विलास से उन्हें उम्मत्त करती।
शम्बर ने कहा—"वह उस सर्प से क्या कर रही है रे मनुष्य?"
सोम ने कुण्डनी से संकेत पाकर कहा—"मैंने कहा था कि यह मागधी नाग-पत्नी है, अब सर्वप्रथम नाग चुम्बन करेगा, पीछे जिसे मृत्यु की कामना हो, वह चुम्बन करे।"
"तो नाग-चुम्बन होने दे!"
"तो महान् शम्बर इस मानुषी के नागपति के नाम पर एक-एक पात्र मद्य पीने की आज्ञा दें।"
शम्बर ने उच्च स्वर से सबको आज्ञा दी। फिर असुरों ने मद्य के बड़े-बड़े पात्र मुंह से लगा लिए।
इसी समय कुण्डनी ने नाग से दंश लिया। उस दंश को देखकर सभी आश्चर्यचकित हो गए। कुण्डनी ने नाग को थैली में रख अपने वस्त्रों में छिपा लिया। उसके मस्तक पर स्वेदबिन्दु झलक आए और वह विष के वेग से लहराने लगी। उस समय उसके नृत्य ने