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उसकी राह देखकर पुनर्विवाह कर ले। पर यदि पति ब्राह्मण हो और विद्या-अध्ययन के लिए गया हो तो स्त्री बारह वर्ष राह देखे।"
कात्यायन-"नपुंसक या पतित पति की स्त्री यदि दूसरा विवाह ब्याह करे तो उसका पुत्र पौनर्भव हो। वह माता के पहले पति के दाय से भोजन-वस्त्र पाए।"
वसिष्ठ-"जो स्त्री अपने अल्पवयस्क पति को छोड़ अन्य-पुरुष के पास रहे, तथा फिर पहले पति के वयस्क होने पर उसके पास आ जाए वह पुनर्भवा है। यदि उसका पति पागल, पतित या नपुंसक हो और वह उसे छोड़कर दूसरे पति से विवाह करे तो वह पौनर्भव हो।"
हारीत–"ये छः पुत्र दायाद बन्धु हैं-औरस, क्षेत्रज, पौनर्भव, कानीन, पुत्रिका पुत्र और गूढ़ज। ये क्रम से दायभागी हों।"