पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/३०७

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और राजपुत्र दोनों के अपहरण का समाचार अप्रकट है । सब यही जानते हैं , महाराज देवी के प्रासाद में हैं । यही मैं भी कहता हूं । मैं कल सूर्योदय होते ही यज्ञानुष्ठान साधारण रीति पर प्रारम्भ कर दूंगा । तीन दण्ड दिनमान होने पर महाराज को अभिषेक की वेदी पर आना होगा । " ___ " तो आचार्य , जैसे भी होगा , मैं ठीक समय पर राजपुत्र को अभिषेक वेदी पर ला बैठाऊंगा। यदि न ला सकू तो यही समझना कि सोमप्रभ जीवित नहीं है। " वह एकबारगी ही उठकर चल दिए । सबके हृदय आतंकित हो गए। कुण्डनी और नाउन ने उनका अनुगमन किया । सब स्तब्ध थे।