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जाता है । उनके सामर्थ्य की परीक्षा उनके किए हुए कार्यों की सफलता से की जाएगी । महाबलाधिकृत सेनापति कारायण को और राजपुरोजित वसुभट्ट को नियत किया जाता है , जो शास्त्र - प्रतिपादित गुणों से युक्त , उन्नत कुल में उत्पन्न , षडंग वेदों के ज्ञाता, दंडनीति , ज्योतिष तथा अथर्ववेदोक्त मानुषी और दैवी विपत्तियों के प्रतिकार में निपुण हैं । " इसके बाद महाराज विदूडभ को भेंटें दी जाने लगीं । सबसे प्रथम मगध की ओर से सोमप्रभ ने एक रत्नजटित खड्ग भेंट किया । इसके बाद देश - देश के राजा , राजप्रतिनिधि और फिर श्रीमन्त , सेट्ठि तथा पौरगण और राजकर्मचारियों ने भेंटें अर्पण कीं । फिर मंगलवाद्य के साथ यह समारोह सम्पूर्ण हुआ ।