पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/३९९

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पारग्रामिक ने कहा - “मित्र, वे किधर गए हैं मुझे बता , मैं उन्हें अभी लाता हूं । " इतना कह वह द्रुतगति से गृहपति की बताई दिशा की ओर चल दिया । उसके बाद ही दोनों बटारू भी उद्विग्न- से हो – “ हम भी देखें , कौन है। कहकर उठकर उसकी विपरीत दिशा को भाग खड़े हुए । गृहपति अवाक् खड़ा यह अद्भुत व्यापार देखता रहा ।