सामग्री पर जाएँ

पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/४६४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

खेलने का नितान्त निषेध था । स्कन्धावार के बाहर -भीतर आने- जाने के लिए राजमुद्रा का कड़ा प्रबन्ध था , बिना आज्ञा युद्धभूमि तथा स्कन्धावार से भागने वाले सैनिक को शून्यपाल तुरन्त बन्दी कर ले - ऐसी कठोर राजाज्ञा प्रचारित कर दी गई थी । ___ कण्टक -शोधनाध्यक्ष बहुत - से शिल्पी , कर्मकर और उनके प्रधानों के साथ मार्ग की रक्षा , जल -प्रबन्ध , मार्ग-स्थापन, जंगल साफ करने और हिंसक प्राणियों को स्कन्धावार से दूर भगाने में सतत संलग्न था ।