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पृष्ठ:वैशाली की नगरवधू.djvu/४७०

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अपने योद्धाओं को छुड़ाने , अपनी सेना के मार्ग पर शत्रुओं की सेना के चले जाने पर स्वयं शत्रु- सेना के मार्ग का अनुसरण करने , शत्रु के कोष और सेनानायकों का अपहरण करने , पीछे तथा सम्मुख हो आक्रमण करने , भागते हुए सैनिकों का पीछा करने तथा बिखरी हुई अपनी सेना को एकत्रित करने की सम्पूर्ण योजनाओं पर विचार किया गया । ये सारे कार्य अश्वारोही सैन्य को सौंपे गए। सेना के अग्रभाग और पश्च -भाग का रक्षण करने , नये तीर्थ और नये मार्ग बनाने . घने जंगलों के घमासान युद्ध में प्रमुख भाग लेने , शत्रु के वासस्थानों में आग लगाने और अपने स्कन्धावार निवेश में लगी आग को बुझाने, शत्रु की संगठित सैन्य को छिन्न -भिन्न करने, योद्धाओं को पकड़ने, परकोट , द्वार , अटारी आदि गिराने , शत्रु के कोष को लूट ले भागने का कार्य हाथियों के अधिपति को सौंपा गया । __ अपनी सेना की रक्षा करने , आक्रमण के समय शत्रु सैन्य को रोकने , शत्रु के द्वारा पकड़े गए अपने योद्धाओं को छुड़ाने , बिखरी सेना को एकत्रित करने , शत्रु की सेना को विचलित करने का कार्य रथ -रथी और रथपतियों को सौंपा गया । प्रत्येक सम -विषम स्थानों, प्रत्येक अनुकूल - प्रतिकूल ऋतुओं और परिस्थितियों में घनघोर खड्ग युद्ध करने का काम पदातिक सैन्य को दिया गया । शिविर, मार्ग, सेतु , कूप , घाट आदि तैयार करने ; उन्हें ठीक -ठीक रखने , यन्त्र , शस्त्र , कवच आदि से साधन - सम्पन्न करने तथा आहत भटों को युद्धस्थल से ढोकर चिकित्सा - केन्द्रों तक पहुंचाने का काम विष्टि सैन्य को दिया गया । ___ इस प्रकार युद्ध-संचालन की सारी व्यवस्था कर - मागध महासेनापति चण्डभद्रिक ने सोमप्रभ का अभिनन्दन करते हुए सम्पूर्ण सेनापतियों के समक्ष उनके शौर्य, कौशल , भक्ति और स्थैर्य की भूरि - भूरि प्रशंसा की और परिपूर्ण अनुशासन का बारम्बार अनुरोध किया ।