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पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/३९७

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शिवसिंहसरोज


१४ अहमद कवि, सं० १६७० में उ० ।

इनका मत सूफ़ी अर्थात् वेदांतियों से मिलता जुलता था । इनके दोहा, सोरठा बहुत ही चुटीले, रसीले हैं ।॥ ६ सफ़ा ॥

१५ अनन्य कवि (१ ), सं० १७६० में उ० ।

वेदांत-संबन्धी तथा नीति, चेतावनी, सामयिक वार्ता में इनकी बहुत कविता है ॥ ६ सफ़ा ॥

१६ आलम कवि (१), सं० १७१२ में ड० ।

पहले सनाढय ब्राह्मण थे, पीछे किसी रंगरेजिन के इश्क में मुसलमान होकर मुअज्जम शाह ( शाहजादे शाहजहाँ बादशाह ) की खिदमत में बहुत दिनों तक रहे । कविता बहुत सुंदर है ॥ ह सफ़ा ॥ ( १ )

१७ असकंदगिरि, बाँदा, बुंदेलखंडी सं० १६१६ में उ० ।

यह कवि गोसांई हिम्मतबहादुर के वंश में थे, और कविता के बड़े चाहक) गुणग्राहक थे । नायिका भेद का एक ग्रंथ असकंद विनोद नाम बहुत अद्भुत रचा है । ॥ १० सफ़ा ॥

१८ अनूप कवि, सं० १८०१ में उ०।

शांत-रस में बहुधा इनके कवित्त, दोहा, गीत आदि देखे गये ॥ १० सफ़ा-॥

१६ छोलीराम कवि, लंo १६२१ में उ० ।

कालिदासजी ने इनका काव्य आपने हज़ारे में लिखा है । ११ सफ़ा ॥

२० अभयराम कवि, वृन्दावनी सं० १६०२ में उ० ।

ऐज़न ॥ ११ सफ़ा ॥

२१ अम्मृत कवि, सै० १६०२ में उ० ।

अकबर बादशाह के यहाँ थे ॥ ११ सफ़ा. ॥

२२ आनन्दघन कवि दिल्लीवालेसं० १७१५ में ड० ॥

इन कवि की कविता सूर्य के समान भासमान है । मैंने कोई