पृष्ठ:शिवसिंह सरोज.djvu/४०६

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कवियों के जीवनचरित्र

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१२ कवीन्द्र (१) उदयनाथ त्रिवेदी वनपुरानियानी कवि कालिदासजू।

के पुत्र, सं० २८०४ में उ० । यह कवि अपने पिता के समान महान कवीश्वर हो गुजरे हैं। प्रथम राजा हिम्मतिसिंह बंधलगोत्री अमेठी-महाराज के यहाँ बहुत दिन तक रहे, और कविता में अपना नाम उदयनाथ रखते रहे । । जब राजा के नाम से रसचंद्रोदय नाम का ग्रन्थ बनाया तो राजा ने कवीन्द्र पदवी दी । तब से अपना नाम कवीन्द्र रखते रहे। इस ग्रन्थ के चार नाम हैं, रतिविनोद चंद्रिका १, रतिविनोद चंद्रोदय २, रसचन्द्रिका ३, रसचंद्रोदय : । यह ग्रन्थ भाषा- साहित्य में महा अद्भुत है । पीछे कवीन्द्रजी थोड़े दिन राजा गुरुदत्त सिंह अमेठी के यहाँ रहकर फिर भगवंतराय खींची और गजसिंह सहाराजा आमेर और राव बुद्ध हाड़ा बूंदीवाले के यहाँ महा मान-सम्मान के साथ काल व्यतीत करते रहे । एक कवीन्द्र त्रिवेदी देतीगा, ज़िले रायबरेली में भी महान् कवि हो गये हैं । ३० सफ़ा॥ (२ )

१३ कद्र २ ) सुखीसुखब्राह्मण, नरवर बुंदेलखण्डनिवासी के सं० १८५४ में उ० ।

इन्होंने रसदीपक नाम ग्रन्थ बनाया है । ।

१४ कवींद्र (३ ) सारस्वत ब्राह्मण काशीनिवास, सं० १६२२ में उ०।

यह कवीन्द्राचार्य महाराज संस्कृत-सहित्य शास्र में अंपने समय के भानु थे । श।इजहाँ बादशाह के हुक्म से भाषा-काठप बनाना प्रारम्भ किया और बादशाही आज्ञा के अनुसार कवीन्द्रकल्पलता नाम ग्रंथ भाषा में रचा, जिसमें बादशाह के पुत्र दाराशिकोह और बेगम साइबा की तारीफ में बहुत कधित हैं ॥ ३२ सफ़ा ॥

१५ किशोर, युग़लकिशोर बंदीजन दिल्लीवालेसं,सं॰ १८०१ में ड०।

यह कविता में महानिपुण थे, और मोहम्मदंशाह बादशाह के