पृष्ठ:संकलन.djvu/३

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निवेदन

पूज्य आचार्य पंडित महावीरप्रसाद जी द्विवेदी के भिन्न भिन्न विषयों पर लिखे हुए लेखों का एक बड़ा संग्रह "विचार-विमर्श" के नाम से, क्रम के विचार से इस पुस्तक से पहले और समय के विचार से इस पुस्तक के साथ ही, प्रकाशित हुआ है। द्विवेदी जी के इस प्रकार के लेख-संग्रहों के सम्बन्ध में हमें जो कुछ कहना था, वह विचार-विमर्श के आरम्भ में निवेदित हो चुका है। अतः यहाँ उन बातों को दोहराने अथवा उन्हीं के समान कुछ और बातें कहने की आवश्यकता नहीं जान पड़ती। इस "संकलन" में द्विवेदी जी के उन फुटकर, परन्तु फिर भी उपयोगी तथा शिक्षाप्रद, लेखों का संग्रह है जो आपने समय समय पर "सरस्वती" में प्रकाशित किये थे। विचार-विमर्श में संगृहीत लेखों के समान इन लेखों का भी बहुत कुछ स्थायी महत्व तथा मूल्य है; और इस दृष्टि से यह संग्रह भी, आशा है, हिन्दी संसार में अपने लिये वह विशेष स्थान प्राप्त करेगा, जिसका यह वस्तुतः अधिकारी है।

द्विवेदी जी के इन दोनों लेख-संग्रहों को प्रकाशनार्थ प्राप्त करके यह भांडार कितना अधिक उपकृत हुआ है और कृतज्ञता का कितना अधिक भाव रखता है, यह शब्दों में व्यक्त करने की बात नहीं है। वास्तविक कृतज्ञता का द्योतक तो मौन होता है; अतः हमारे लिये भी वही मौन भाव ग्रहण करना श्रेयस्कर है। किमधिकम्।

काशी प्रकाशक।
मकर संक्रान्ति १९८८