कूएँ और पम्प बने हुए हैं। उनका निर्मल और रासायनिक
क्रिया से साफ़ किया हुआ जल अत्यन्त स्वादिष्ट और स्वास्थ्य-
कर है। गाँव भर में ऐसी कोई सड़क नहीं जिस पर पत्थर
न जड़े हों। सड़कों की तो बात ही क्या है, गलियों तक में
ईंटें लगी हुई हैं और उन पर सीमेंट बिछा हुआ है, जिससे
वे बारहो मास पक्की गचं सी बनी रहती हैं। बरसात तक में
कीचड़ के दर्शन नहीं होते।
यह हम लिख चुके हैं कि केम्ब्रिज में रेलवे स्टेशन, तार- घर, डाकखाना, स्कूल और अस्पताल आदि सब कुछ हैं। इनके सिवा वहाँ आग बुझानेवाली टोली और एक कचहरी भी है। बिजली की रेल चलने का भी प्रबन्ध हो रहा है। डाकखाना दिन में चार दफे डाक बाँटता है। गाँववाले साल भर में कोई पन्द्रह हज़ार रुपये के डाक-टिकट ख़रीदते हैं। डाकख़ाने में एक पोस्ट मास्टर, एक सहकारी पोस्ट- मास्टर, एक क्लर्क और पाँच चिट्ठी-रसाँ हैं। जो किसान गाँव से कई मील दूर खलिहानों में रहते हैं, उन्हें चिट्ठी लेने या देने के लिए गाँव में नहीं आना पड़ता। चिट्ठी-रसाँ लोग खुद जाकर डाक दे आते हैं; और ले भी आते हैं। इससे किसानों को बड़ा सुभीता रहता है; उनके काम में विघ्न नहीं पड़ता।
केम्ब्रिज में एक सार्वजनिक पुस्तकालय भी है। उसमें
कई हज़ार किताबें हैं। इससे सर्व-साधारण को बड़ा लाभ
होता है। जिसका जी चाहता है, इन ग्रंथों से मुफ्त फायदा
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