पृष्ठ:संक्षिप्त रामस्वयंवर.djvu/१४

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. . . यह संक्षित संस्करग तैयार किया गया है । इसमें लीला क्रम कहीं टूटने नहीं पाया है और यथा, संभव अच्छे अच्छे पद चुनकर लिए गए हैं । आशा है कि इस संक्षिप्त रामस्वयंबर से पाठकगण श्रीमान् की कविता का रस आस्वादन करने पर पूर्ग ग्रंथ देखने का अवसर प्राप्त करने में न चूकेंगे। . इस ग्रंथ के नामकरण के सम्बन्ध में कुछ लोगों का आक्षेप है कि यह ठीक नहीं है अर्थात् रामस्वयंवर न होकर सीयवयंवर होना उचित था। पर स्वयंवर का अर्थ है स्वयं वरग करना । मोरं वास्तव में रामचंद्र ने धनुभंग कर सोता को वरग किया था। सीताजी को स्वयं वरगं करने का रत्ती भर भी अधिकार नहीं था। - पूर्वोक्त विचार से इस ग्रंथ के नामकरण पर जो आक्षेप होता है, वह अनुचित हैं। SAN