६ १५२ ) दूर ठे । सवा वझ्य ३६३-वाक्य के मुख्य दो अवयव होते हैं--- ( अ ) जिस वस्तु के विषय में कुछ कहा जाता है उसे सूचित करनेवालो को उद्देश्य कहते हैं। जैसे आत्मा अमर है। घोड़ा दौड़ रहा है । रामने रावण को मार । इन वाक्यो में "आत्मा" "घोड़ा और राम ने उद्देश्य है, क्योकि इनके विधय मे कुछ कहा गया है अर्थात् विधान किया गया है । | ( 7 ) उद्देश्य के विपय में जो विधान किया जाता है उसे सूचित करने वाले शब्दो को विधेय कहते है; जैसे ऊपर लिखे वाक्यों में आत्मा ६६वाड़ा ‘रामने इन उद्देश्यों के विषय में क्रमशः “अमर है दौड़ रहा है। रावण को मारा, ये बिधान किए गए हैं, इसलिए इन्हे विधेय कहते हैं । ३६४-- जिस वाक्य में एक उद्देश्य और एक विधेय रहता है उसे साधारण वाक्य कहते हैं; जैसे आज बहुत पानी गिरा। बिजली चम- कती है । राजा ने उसी समय आने की आज्ञा दी ।। । ३६५ ----साधारण वाक्य में एक संज्ञा उद्देश्य और एक क्रिया विधेय होती हैं और इन्हे क्रमशः साधारण उद्देश्य और साधारण विधेय कहते हैं। ३६६-साधारण उद्देश्य में संज्ञा अथवा संज्ञा के समान उपयोग में आनेवाले दूसरे शब्द आते हैं; जैसे, ( अ ) संज्ञा---हवा चली । लड़का आवेगा । राम जाता है । ( अ ) सर्वनाम---तुम पढ़ते थे । वे जावेगे । हम बैठे हैं। ( इ ) विशेषण-विद्वान् सब जगह पूजा जाता है। मरता क्या नहीं करता ।