( २२५ ) संबंध से स्थिति और गति सूचित करता है, जैसे, जहाँ अभी समुद्र है” वहाँ किसी समय जंगल था । ये लोग भी वहीं से आए, जहाँ से आर्य लोग आए थे ।” स्थानवाचक क्रिया-विशेषण-उपवाक्य में जहाँ, जहाँ से, जिधर आते हैं और मुख्य उपवाक्य में उनके नित्य-संबंधी तहाँ ( वहाँ ), तहाँ से और उधर आते हैं। | ३६३-रीतिवाचक क्रियाविशेपण से समता और विषमता का अर्थ पाया जाता है, जैसे दोनों वीर ऐसे टूटे जैसे हाथियों के यूथ पर सिंह टूटे ।” “जैसे आप बोलते हैं। वैसे मैं नहीं बोल सकता । रीतिवाचक क्रियाविशेषण-उपवाक्य जैसे, ज्यो ( कविता में ) और मानों से आरंभ होते हैं और मुख्य उपवाक्य में उनके नित्य-संबंधी वैसे ( ऐसे ) कैसे और क्यों आते हैं। ३६४---परिमाणवाचक क्रियाविशेषण • उपवाक्य से अधिकता, तुल्यता, न्यूनता, अनुपात आदि का बोध होता है; जैसे, ज्योज्यो भीजे कामरी त्यो त्यों भारी होय ।” जैसे-जैसे आमदनी बढ़ती जाती है वैसे- वैसे खर्च भी बढ़ जाता है।” परिमाणवाचक क्रियाविशेषण उपवाक्य में ज्यों ज्यो, जैसे-जैसे, जहाँ तक, जितना आते हैं और मुख्य उपवाक्य में उनके नित्य-संबंधी जैसे- वैसे ( तैसे-तैसे ), त्या-त्यों, वहाँ तक, उतना रहते हैं। . ३६५--कभी-कभी संबंधवाचक क्रिया-विशेषणों के बदले संबंध-वाचक विशेषण और सज्ञा से बने हुए वाक्यांश और नित्य-संबंधी शब्दों के बदले निश्चयवाचक विशेषण और संज्ञा से बने हुए वाक्यशि आते हैं। ऐसी अवस्था में आश्रित उपवाक्यो को विशेषण उपवाक्य मानना उचित है, क्योंकि उनमें संज्ञा की प्रधानता रहती है; जैसे, जिस काल श्रीकृष्ण हस्तिनापुर को चले, उस समय की शोभा कुछ बरनी नहीं जाती ।। | ** जिस जगह से वह. आता है उसी जगह लौट जाता है। ३६६---कार्यकारण वाचक क्रियाविशेषण-उपवाक्य से हेतु, सृकेत,