( ६० ) विशेषण संबंध-सूचक धन के समान दो भाग करो । इस कपडे का रंग उसके समान है। योग्य मनुष्य आदर पाता है। मेरे योग्य कार्य बताइए । विरुद्ध दिशाओं में गए । धर्म के विरुद्ध मत चलो । |' जैसा देश, वैसा भेष ! मै आप के जैसा चतुर नहीं हूँ। १२८- ने", "को', 'से', का-के-की”, “में” और “पर” भी एक प्रकार के सबंध-सूचक हैं, पर ये स्वतंत्र शब्द नहीं हैं; इसलिए आगे विचार ( १७६ अंक में ) किया जायगा । १२६ an>अधिकांश संबध सन्चको के पहले के विभक्ति और कुद्द के पहले से विभक्ति आती है, जैसे, नगर के पास गॉव से परे नगर के समान धन से रहित (क) नीचे लिखे संबंध-सूव को के पहले की विभक्ति आती है- ॐ अपेक्षा, औ, लाई, खातिर, तरह, मारफत, बदौलत, बनिस्बत । १३०--कोई कोई सबंध-सूचक बिना विभक्ति के आते हैं; जैसे, लड़के समेत, गाँव तक, रात भर, पुत्र सरीखा ।। कभी कभी “के' का लोप होता है, जैसे नीचे लिखे अनुसार, गए बिना, देखने योग्य ।। ६ क ) जब ओर १ तरपा) के पहले संख्या - वाचक विशेषण रहता है, तब उसके पहले की के बदले के’ आता है; जैसे, नगर के चारों और मकान के दोनों तरफे ।। १३१-अकारात विशेषणो से बने हुए संबंध-सूचको का रूप विशेष्य के अनुसार बदलता है; जैसे, तालाब का जैसा रूप, उनके सरीखे लड़के, सती ऐसी स्त्री । १३२-६मारे, विन।” और “सिवा” संबंध-सूचक बहुधा संज्ञा का सवनाम के पहले आते हैं; जैसे, मारे भुख के, बिना धन के, सिवा कपड़े के ।