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आठवाँ पाठ | क्रिया का वाच्य | १२० |
नौवाँ „ | क्रिया का अर्थ | १२३ |
दसवाँ „ | क्रिया के काल | १२४ |
ग्यारहवाँ „ | क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन | १२७ |
बारहवाँ „ | कृदंत | १३१ |
तेरहवाँ „ | क्रिया के काल रचना | १३७ |
चौदहवाँ „ | प्रेरणार्थक क्रियाएँ | १४४ |
पंद्रहवाँ „ | संयुक्त क्रियाएँ | १५९ |
| पाँचवाँ अध्याय | |
| शब्द-रचना | |
पहला पाठ | उपसर्ग | १६७ |
दूसरा „ | कृदंत (अन्य शब्द) | १७१ |
तीसरा „ | तद्धित | १७४ |
चौथा „ | समास | १८३ |
पाँचवाँ „ | पुनरुक्त और अनुकरण-वाचक | १८३ |
छठवाँ „ | हिंदी भाषा का संक्षिप्त इतिहास | १८५ |
| छठवाँ अध्याय | |
| वाक्य-विन्यास | |
पहला पाठ | कारकों के अर्थ | १८९ |
दूसरा „ | कालों के अर्थ | १९५ |