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पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग १.djvu/२

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प्रस्तावना

आज जब कि संगीत-कला की उन्नति सरकार तथा भारतीय जनता द्वारा हो रही है। इस कला की उन्नति में सभी प्रयत्नशील हैं। श्री रामावतार जी 'वीर' द्वारा रचित 'संगीत-परिचय' के भागों में संगीत के विषय को बहुत ही सुन्दर और सरल ढंग से लिखा गया है। संगीत-कला का ज्ञान प्राप्त करने वालों के लिए ये पुस्तकें बहुत लाभदायक सिद्ध होंगी। इनके द्वारा संगीत के विद्यार्थी प्रारम्भिक शिक्षा बहुत सुगमता से प्राप्त कर सकते हैं। आशा है कि शिक्षा-विभागी में इन्हें पूर्णतया अपनाया जायगा।


जीवनलाल मट्टू

तिथि
संगीत सुपरवाइज़र
 
१३—१२—५०
आल इण्डिया रेडियो
 

नई दिल्ली