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पाठ नौवां
स्वर साधन और गायन विधि
- १. स्वर साधन प्रातःकाल करना चाहिये ।
- २. स्वर साधन करते समय कण्ठ ध्वनि को सुरीला
- बनाने का प्रयत्न करना चाहिए।
- २. स्वर साधन करते समय कण्ठ ध्वनि को सुरीला
- ३ स्वर साधन करते समय किसी प्रकार की लज्जा, भय,
- संकोच नहीं करना चाहिये।
- ३ स्वर साधन करते समय किसी प्रकार की लज्जा, भय,
- ४. स्वर साधन करते समय आकृति भङ्ग नहीं होनी
- चाहिये।
- ४. स्वर साधन करते समय आकृति भङ्ग नहीं होनी
- ५. स्वर साधन करते समय स्वरों का उच्चारण खुले
- कंठ से करना चाहिये।
- ५. स्वर साधन करते समय स्वरों का उच्चारण खुले
- ६. किसी गीत को गाने से पूर्व गीत के शब्दों को
- कंठस्थ कर लेना चाहिये।
- ६. किसी गीत को गाने से पूर्व गीत के शब्दों को
- ७. गीत को गाते समय उसकी लय ताल का पूरा-पूरा
- ध्यान रखना चाहिये।
- ७. गीत को गाते समय उसकी लय ताल का पूरा-पूरा
- ८. गीत को गाते समय उनके शब्दों का उच्चारण शुद्ध
- और पूरा-पूरा होना चाहिए।
- ८. गीत को गाते समय उनके शब्दों का उच्चारण शुद्ध