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( ४२ )
- भजन मीरा
- राग खमाज
- भजन मीरा
- कोई कहियो रे प्रभू आवन की।
- आवन की मन भावन की।
- आप न आये लिख नहीं भेजी।
- बांणा पड़ी ललचावन की ।।
- ये दोउ नैना कैहो नहीं मानत ।
- नदियाँ बहें जैसे सावण की ।
- कहा करू कछु बस नहीं मेरो।
- पांख नहीं उड़ जावन की ।
- 'मीरा' कहे प्रभू कवरे मिलोगे।
- चेरी भई हूँ तेरे दावन को ।।
राग खमाज
स्थाई
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