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राग भैरवी
ताल तीन
- सुनेरी मैंने निर्बल के बल राम।
- पिछली साख भरूं संतन की,
- आड़े सँवारे काम ॥ १॥
- आड़े सँवारे काम ॥ १॥
जब लगि गज बल अपनो वरत्यो,
- नेक सरयो नहिं काम।
- निर्बल ह्वै बलराम पुकारयो,
- आये आधे नाम ||२ ||
- द्रुपद-सुता निरबल भई ता दिन,
- तजि आये निज धाम।
- दुश्शासन की भुजा चकित भई,
- वसनरूप भये स्याम ||३||
- अप-बल तप-बल और बाहु-बल,
- चौथो है बल दाम।
- 'सूर' किसोर- कृपातें सब बल,
- हारे को हरि-नाम ॥४॥