पृष्ठ:संगीत-परिचय भाग २.djvu/४८

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नी ध ध नी | प ध प सं म पुका -रेयो- आ सं नी । धु प म .ये या घ ग प मनी मसु भजन सूरदास राग भैरवी मधुकर शाम हमारे चोर। मन हर लियो माधुरी मूरत, निरख नैन को कोर ॥ पकरे हुते धान उर अन्तर, प्रेम प्रीति के जोर । गये छुड़ाये तोड़ सब बंधन, देगये हंसन श्राकोर ।। उचक परों जागत निसी वीते, तारे गिनत भई भोर । 'सूरदास' प्रभू मन मेरो सरवस, ले गयो नन्द किसोर ।। भजन सूरदास राग भैरवी (ताल तीन मात्रा १६) स्थाई प ध प म स नो ध नो ना