पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/४९

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पड़ज (तार सप्तक) मेरु मे घुडच तक जो वीणा का तार सिंचा हुआ है, इसके ठीक बीचों बीच मे तार पडज स्थित है। अर्थात् ३६ इ च लम्बा तार मानकर उसके २ भाग करने पर ३६-०१८ इच पर तार पडज बोलेगा। मेरु०.....


घुडच १८च

सा (पड़ज मध्य सप्तक) पूरे ३६ ह च लम्बे खुले तार को निना किसी जगह दवाये छेडा जाये तो मध्य सप्तक का पडज चोलेगा। सा मेरु०


०धुडच ३६ इन्च इसके बाद बताते हैं, अतितार पडज और मध्यम स्वरों के स्थान -

मध्यस्थानादिमपड्जमारम्यातारपड्जगम् । स्त्र कुर्यात्तदर्धे तु स्वरम् मध्यममाचरेत् ॥ सां (अतितार पड़ज) धुडच और तार पडज (सा) के बीच में जो १८ इन्च स्थान है उसके मध्य स्थान में अतितार पड़ज स्थापित है अर्थात सा मे ६ इन्च आगे जाकर अति तार पड्ज बोलेगा। सा --०घुडच मध्यम-- मेरु और तार पड्ज के बीच में जो १८ इ च तार है, उसके २ भाग :- इच के हुए, अत मध्यम सर १८+६-७ इच पर बोलेगा। अर्थात् सा और सा के बीच में मध्यम स्वर है। मा सा २७इच १८ इच पंचमभागत्रयसमायुक्त तत्सूत्रं कारितम् भवेत् । पूर्वभागद्वयादग्र स्थापनीयोऽथ पचमः ।। पचम स्वर को इस प्रकार बताते हैं कि मेरे और तार मा से श्री ताता की बढकर ३६० हो गई। - तर हा ...