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पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/५५

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  • सगीत विशराढ *

वीणा के तार पर श्री निवास तथा मंजरीकार के स्वर स्थान तथा आंदोलन संख्या श्री निवास के स्वर स्थान मजरीकार के स्वर स्थान स्वर नाम | लम्बाई आन्दोलन | स्वर नाम लम्बाई आन्दोलन पडज शुद्ध । ३६ इच' २४० रिपभ कोमल रिपभ शुद्ध ३३६ " ०४- गन्धार शुद्ध पड़ज रिपभ कोमल रिपभ तीव्र गधार कोमल गवार तीव्र मध्यम कोमल मध्यम तीन गन्धार तीन मध्यम शुद्ध मध्यम तीव्रतर पचम शुद्ध धैवत कोमल पचम धैवत शुद्ध निपाद शुद्ध निपाद तीन पडज शुद्ध (तार) धैवत कोमल धैचत तीव्र निपाट कोमल निपाद तीत्र तार पडज १८ ४८० उपरोक्त तालिका से यह स्पष्ट है कि श्री निवास के सभी शुद्ध स्वर स्थान मजरीकार ने मान लिये हैं, केवल कुछ निकृत स्वर स्यानों के बारे में इन दोनों विद्वानों के मत नहीं मिलते श्रत आगे हम यह लिसते हैं कि इनका मतैक्य तथा मतभेद कौन-कौन सी बातों पर है। मतैक्य ( समानता) (१) दोनों ही विद्वान कोमल धैवत तथा शुद्ध धैरत को पहज पचम भाव मे निकालकर जायग तामिरे' -10-24 नाते