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पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/६

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জ্বলজছঞ্জাখিলছি। لع لل श्रुति म ८ः सफल संगीतज्ञ बनने के उपकरण ... दस थाटों के सांकेतिक चिन्ह ... ६५ भारतीय संगीत का इतिहास ... १७ ७२ थाट कैसे बनते हैं ... ... ६५ संगीत के इतिहास का काल विभाजन ... १८पूर्वाद्ध और उत्तराद्ध के ३६ थाट ... ६६ अति प्राचीन ( वैदिक काल ), प्राचीनकाल १६ व्यंकटमखी पं० के कल्पित स्वरों के पूर्वार्ध ६७ मध्यकाल (मुस्लिम काल) __... २१ उत्तरी संगीत पद्धति के १२ स्वरों से ३२ थाट ६८ आधुनिककाल (अंग्रेजी राज्य) ... २७ हिन्दुस्तानी संगीत पद्धति के दस थाट औरसंगीत प्रचार का अाधुनिककाल २८ उनसे उत्पन्न कुछ राग ... .. ७१ स्वतन्त्र भारत में संगीत .. ३० व्यंकटमखी के ७२ मेल . ... ७३ संगीत, स्वर, तीव्र और कोमल ... ३१ व्यंकटमखी पं० के १६ थाट और उनके स्वर ७४ शुद्ध और विकृत स्वर, दक्षिणी उत्तरी सङ्गीत पं० व्यंकटमखी के जनकमेल तथा जन्य राग - के भेद ... ... ... ३२ । रोगलक्षणम् के ७२ कर्नाटकी मेल उत्तरी और दक्षिणी स्वरों की तुलना .:: ३३ स्थान, सप्तक ... नाद ... ... ... ३५ वर्ण .. ... ... .. ... ३६ अलंकार, राग .. ... स्वरों में श्रुतियों को बांटने का नियम ... ३७/ रागों की जाति - ... श्रुति और स्वर तुलना... ... ३८ ग्राम श्रुति स्वरूप .. .. ... ३६ प्राचीन ग्रन्थों में २२ श्रुतियों पर तीन ग्राम प्राचीन तथा मध्यकालीन ग्रन्थकारों की श्रुतियां ४० अाधुनिक ग्राम चक्र • अाधुनिक ग्रन्थकारों की श्रुतियां ... ४२ मूर्च्छना ... ? प्राचीन व आधुनिक श्रुति स्वर विभाजन ४३ षड़ज ग्राम की मूर्च्छना २२ श्रुतियों पर अाधुनिक पद्धति के १२ मध्यम ग्राम की मूर्च्छना " स्वरों की स्थापना .. ... ४४ गंधार ग्राम की मूर्च्छना तुलनात्मक विवेचन ... . ... ४५ मूर्च्छनाओं की तुलनात्मक परिभाषा स्वर स्थान और आन्दोलन संख्या ... ४७ राग के दस लक्षण /स्वरों की आन्दोलन संख्या निकालना ... ४७/ राग भेद स्वरों का गुणान्तर ... ४७ आश्रय राग आन्दोलन संख्या से लम्बाई निकालना ... ४८ दस आश्रय राग वीणा के तार पर श्रीनिवास के स्वर ... ४६ राग गाने का समय विभाजन । श्रीनिवास के विकृत स्वर ... ५३८ रागों के तीन वर्ग श्रीनिवास के ५ विकृत स्वर - ५५ सन्धिप्रकाश राग मञ्जरीकार के १२ स्वर स्थान ५७ रे ध शुद्ध वाले राग वीणा के तार पर .." . .. ५८ कोमल ग, नि वाले राग ... ., १०० • मतैक्य ... ... ... ५८ तीव्र में वाले राग .... १०१ मतभेद ... ... .... ५६ सङ्गीत के दिन रात । ... १०३ भारतीय तथा योरोपीय स्वर सम्वाद ... ६० अध्वदर्शक स्वर का महत्व ... ... १०४ थाट पद्धति का विकास ... ... ६२ हिं० सं० प० के ४० सिद्धान्त ... १०६ وہ لہ لہ » WWW عر عر م ६७ 0 Udd० ० 0 ० ०