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पृष्ठ:संगीत विशारद.djvu/९२

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  • सङ्गीत विशारद *

६७. देता है, किन्तु ऐसा नहीं समझना चाहिये कि आश्रय राग सभी जन्य रागों का उत्पादक है। जन्य रागों का उत्पादक तो थाट ही माना जायगा। आश्रय राग को ही थाट बाचक राग भी कहते हैं । उत्तरी पद्धति में कुल १० आश्रय राग माने गये हैं, जो निम्न लिखित नकशे में दिखाये जाते हैं: १० अाश्रय राग नाम थाट थाट के स्वर . आश्रय राग रागों के आरोह अवरोह यमन खमाज १ बिलावल | सा रे ग म प ध नि सां बिलावल | सा रे ग म प ध नि सां सां नि ध प म ग रे सा १२ कल्याण | सा रे ग म प ध नि सां सा रे ग म प ध नि सां सां नि ध प म ग रे सा , ३ खमाज | सा रे ग म प ध नि सां सा ग म प ध नि सां सां नि ध प म ग रे सा ४ भैरव सा रे ग म प ध नि सां भैरव सा रे ग म प ध नि सां सां नि ध प म ग रे सा ८ ५ पूर्वी सा रे ग म प ध नि सांपूर्वी सा रे ग म प ध नि सां सां नि ध प म ग रे सा -६ मारवासा रे ग म प ध नि सां मारवा सा रे ग म ध नि सां सां नि ध म ग रे सा -७ काफी सा रे ग म प ध नि सां काफी सा रे ग म प ध नि सां सां नि ध प म ग रे सा ८ ८ आसावरी | सा रे ग म प ध नि सां आसावरी सा रे म प ध सां सां नि ध प म ग रे सा ६ भैरवी | सा रे ग म प ध नि सां | भैरवी सा रे ग म प ध नि सां सां नि ध प म ग रे सा . १० तोड़ी सा रे ग म प ध नि सां तोड़ी सा रे ग म प ध नि सां सां नि ध प म ग रे सा ध्यान रहे कि थाट में केवल आरोह ही होता है तथा सातों स्वर पूरे होते हैं, किन्तु राग में आरोह व अवरोह दोनों का होना आवश्यक है चाहे स्वर सात हों या कम हों। म 파고 ..