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संग्राम

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कि आप मेरा मनोरथ पूरा कर देंगे।

चेतन--जो कुछ मैं कहूं वह करना होगा

ज्ञानी--सिरके बल करूँगी।

चेतन--कोई शंका की तो परिणाम बुरा होगा।

ज्ञानी--(कांपती हुई) अब मुझे कोई शंका नहीं हो सकती। जब आपकी शरण आ गई तो कैसी शंका।

चेतन--(मुस्किराकर) अगर आज्ञा दूँ कुवेंमें कूद पड़।

ज्ञानी--तुरत कूद पड़ूँगी। मुझे विश्वास है कि उससे भी मेरा कल्याण होगा।

चेतन--अगर कहूँ अपने सब आभूषण उतारकर मुझे दे दे तो मनमें यह तो न कहेगी, इसीलिये यह जाल फैलाया था, धूर्त है।

ज्ञानी--(चरणोंपर गिरकर) महाराज, आप प्राण भी मांगें तो भापकी भेंट करूँगी।

चेतन--अच्छा अब जाता हूं। परीक्षाके लिये तैयार रहना।