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तीसरा अङ्क

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मददकी आवश्यकता न होती। मैं अपने योग और तपके बलसे एक क्षणमें इसे रसातलको भेज सकता हूँ, पर शास्त्रोंमें ऐसे कामों के लिये योगबलका व्यवहार करना वर्जित है। इसीसे विवश हूँ। तुम धनसे मेरी कुछ सहायता कर सकते हो?

सलोनी—फत्तू की ओर सशंक दृष्टिसे ताकते हुए। महाराज थोड़ेसे रुपये धाम करनेको रख छोड़े थे। वह आपकी भेंट कर दूंगी। यह भी तो पुण्य हीका काम है।

फत्तू—काकी तेरे पास कुछ रुपये ऊपर हों तो मुझे उधार दे दे।

सलोनी—चल बातें बनाता है। मेरे पास रुपये कहांसे आयेंगे। कौन घरके आदमी कमाई कर रहे हैं। ४० साल बीत गये बाहरसे एक पैसा भी घरमें नहीं आया।

फत्तू—अच्छा नहीं देती है मत दे। अपने तीनों सीसमके पेड़ बेच दूंगा।

चेतन—अच्छा तो मैं जाता हूँ विश्राम करने। कल दिन भरमें तुम लोग प्रबन्ध करके जो कुछ हो सके इस धर्म-कार्यके निमित्त दे देना। कल संध्याको मैं अपने आश्रमपर चला जाऊँगा।

(प्रस्थान)

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