पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/३९७

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रसार मामा मामा मनिल में) मन की माणित किया, मावसिक पुष्टि-मोग- मा बीमा गृहीत सिसजिनिटोन -पौगाना गए, चिन्ता लिया-निषतम्- समयमा ... मन की मपणा, परेमानो मी. मम माना। फनोहर, बाकर्षक कचिकर । बिल नही माने कि ना मी (iv) [fr+माप, मध] 1. भगत, हरे कमकियों को चितिया कुन नाम तपना मकवा, प। बार में चित्रावामांमधर्मजीता--- ५ - विस्मन् त्रि+the ] पा-माह करने का मान. या विचाभरण-1९1 मथ-मय राम Ifoal काष्टवान, (वी का निर्माण । मोहमान बाण मार-पण विसा । चि (वि० : मम्, वि+एम्ब] : अचल विनी-1 [FR+लिन । मह करमा, महा पाप चितम्बरा, पचंदा, गावात तिचाप, करता और नर प्रवाए, ठान, का मगिकर मा.-4, रिविन सारा ANA.बीबीर मामाकार स्थानमा । भाति का पत्र ३१. मनु-१२४८ मिलिला भित+टाप, इत्वम्] 1 हाम, बहा ९८८ मायनाक, मद्भुत, अमोना रग- Nि करमची। विगा गर्न र जोक - तमोर, निए-2 कहला. कामात चित्रकारी, जानेमान-वित्र निवेश्य परिकल्पितमाय- चा हुवा, विद्या किया वालना योगा-4.रा. नित्रकार कला-गा. इमाल लाया + धनियेत, मनिकापत, २, १३.२६ भाविकीमा मामुपम । माता- इनि.-1. ना. व्याल मा पिचाप, पारण नि, आपमे + सामपिक मिा काना, स्निन, बबषान, राभिषाप दोष-मन्वित गया । फेव कोट पम्मतरी (सा. मन्तं मम-मब ८५ अरविEिIR शा में कामोनन्तिम काम्पभंद } पन-दाहो पूरि प्रचात मारिष का पादतिर घोर नायिको प्रकार का है, -१।२२. मी . 'क' गपि समात तयासीन्द मुलाका बजकारों के प्रकोप पर निर्भर सपटका पान माना गता है। करता है, वो पदी की बनि घोर धर्म पर मित्र 5.न. द. तान्ना गति। समः-प्रतिम है. मम्मर परिभाषा देहा ई-सचिन कार्यानयम- विमट अमल मापं करन पाहा. अनुवन प्याक सपा, स्मृषम- काल्प) 'सचिन' का कारी, पचहारक, अपहारिन् । मनोहर माहरा ग्यमणापर में नाबमा पाया है--मा- बामपंग मोहरू,-- माचोन भावदायों के प्री मा त्रिपुषनं चाल यांपाजवाब, मोगारिगोशाय की मामवित. किसी एक वन्नन्य मनुराम गोगा ने नमां नप 1 पा (उमः हा सा मामङ्गः मम्मति मांगा. क. प्रमर, गवं. सिपए पा भुग गत -मित्र पिरो नाग -ऐपम् एवमति, मनक्य चावति, समुन्नति की माणमय पन मिला। पीनंदा, 1 महान्नावटा : पमर, दर्प, पारिन (वि०) इसर -गोमा एक पक्षिनिषेष. मैना, (वि.) पारी की हमले धनुमार काम करने वाला, सन भारतीदार परीपारी (प) मिर- अपना --योनि. 1 मेम. भावा 2 पका सशा मतालों से प्रभास नामन बार मता काम चित्तपोनिरणवत्वनर्म प ०१॥ :भूमा एकर काम अति निक) नरमीर १६. नौश्य प्रापमा म चित्तज-या 40, में उतारा चित्रिन, " आशिषित -क) दूसरे के करमजानलेवा--मावा. राव ११.३.२४-कृति (सी- बनादी-विलिः [P4.jोष, लगा. परम का परिकार, गतीम-धाम mil निकम, गान्त, -4jममा सनिल, समार -- प्रारम्म चभित गुरूम, निम की कारंजा - Amम: गर्म, भी,-माःविषारी अम्भिरता, -भिः (यो कार या पाचार्य - मामुपता, मानवारण से पूर्ण प्रवन - बलिले पञ्चानापियाका- किन विनमः vिarn. पांटा जलवा सर्गपशपमेमु मिकमा 2 वाकावादी गावरान,-किचः पी-भगतिलो नमन अमृतमाना - लाहो से सा पोका अशा की धरता था स्वनाम, पचि, भामा-मामाभि --चूदा, मालार रोकपा मोरजक पापारियविलास पाया विस्मयते स. कामियां मुनाना नाम 1 श्रीर को चनो सानो का २ भान्तरिक वियप (योच...! मूल विमा कालीन, पर । चित्रकार