पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/४१३

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(99) । र जप +JH जन प्रना करना, पीये मारक-लो) [वम+पागे पागम, मक] किती मन्त्र को गा गहराना 2 मेवपाठ करना, का का पैर, गामन ममामा- दोपः मेर देवायों के नाम राना-मनः ४४. पाराव के राम और फल दए साल पी सेस परम- १.२२ पन म्मर में उबाल प्राचंश। | बम [4] योग-पी) [वम्बु (पू++++ म. मराम्या (fa) प्रार्थना मम्मी को पीने का गौतम गुष्य। म उच्चार करण में परन, माला जप कर्म का मजरातला पति-भार माना। काय मत्रा,-सम पूरह मिको गर हा को मा विपद] पद तर पा माहीपन मनिगेग विया रया परिदास व। दिमामा में जाने वालो जाना वामना अभिगावन। 3 प्रपोई मायेला। बन्न | जब- गवग पाय दिन बाम । (चा परर-स्थति, जम्चात ममंग करना, ना + तर कुना कर दुका पला बाद, नु नपणासा- जपते, नभने मलाई HTRA 7 हो हो । सम्मान, उमामा म मेना. पंचामा लेना। राममा नाम बिसे गहने गिराया था 30 जा अम माना जति) वाना। गरे माना। समा-पराति -शिष, नि-नए पपलि_T गुणस में गन्न एक गाह्मण, परगम इन्दा शिगेमग, 1ि मागतापथ भाफा, (मनगि, ता और पका पूत्र श, बह रस हो पुष्पामा चविना, टुन । कि मन | मम्ममा सम्मानित भ+कन् । टर .. पेदों का पूर्ण वाष्पा, उमरी पाना तुम +प, अन्ना किन् । टाप, पल मृदा पो सिामे गात्र पुत्र अग। एक दिन का स्नान माया। कर्मकाता नती पाई सो रहा उमनं किसी गष बम्भ (भो! र [नाम नलाषांच गान ददानि । मन बम्पा के मजनुसार वह चित्ररय मोर उसकी रा+व+M] नाग की पावरं ना गए। एनीको बल में पा का वेग अन्न म. मि |-बच1 जोत. farai. रितय. फिल.. HTiror को कर सारे मन व्यवाणी मौलना में या मुकादम में और पान दूषित पारोगे कांपत नदी ८मन, बोतमा-सा कि इन्दिमप में मपं का मनार भने पर भी सपनिमय हो सकी बरबा नाम + दमा पुष वान गणव गावकुमार पापमपा बाईको बाप महा जग में उते पपिष्ठिर । सिम कारक ? मन का मन, मोव को गतिहीन देवगाहा मास धीर बा1 पुर्णा जुर्गा का रोषक एवं प्रारका पर पूगं गे चलका मिरर नं को बलामी। मका सम्मान (निक मिलर लान पासा, परन्तु पहरे चारो पूर्ण ने एंमार प्रक्ष कर पर चि।) मिनालय मनात बाल, गोलाहल, उलाकान की। पागम जनक मनो छोटा पुत्र 1. नवनौष काका-पीन-पाचप्रमा । अमन तुरस्त पिला की यात्रा का पातन त्रिया या विजय विहार का मांग का का. एक त एक से अपनी माता का मि काट प्रसारका से भिरम फे सूचना देने के लिए गती। सोनमणिका पादरी बमा गौर बवामा वान-पम् विनय का निर्ममा मात्र उसने परशुराम से पावन मारने के लिए कहा। 1 राब। ब्रह्मा म विदापक निश्य का विशेष, पान मधुमने अपनी मादा को पुगौविध करने क. एक प्रकार का पाहा, मजा पार की प्रार्थना का यो कुरत ही स्वीकार को मा। हामी : अरनाक उपचार, न गना (इलागो) का विपण. बाबा 1 मनि चारगी बारा गाकर (पु. १००) रारा च परिषच पत्त और। उति पणकार सम्म विजप मचाने के लिए पानी-पणती और वासाती। नारा गरा सम्म, विवपसूनचा ताम्म-जिभयान अम्बाल-जिम्भ | पन नि याच म-बम+मा+* भातम् । मङ्गायोगेन्नारेमा : मु. ३.१९ कोषमाई. मेकार का अपाय [ मत रखो पम्प:- सः चिनु प्रदेगा पेना। एका, पूर्णकन का मानोई, बमोकि पतराद की बासिनी [बाल-लि+] पर कही। दुरुतमा अपरम को व्याही मी) एक मार महष मी बाम+र. . बाहेष कोपरे का (नी कार के लिए गपा काबा में उसे पदी

  • बाणिका) पेर-पारा ।

दिखाई दी। बसवदी से अपने लिए और अपने नमा मनन् ।