पृष्ठ:संस्कृत-हिन्दी कोश.pdf/५९०

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(498) 1.HT, पतक कमकों का समूह कसा भेवी म प्राय मागी. इनका या माला ममतामयाका मिषना तियार समकार दिपा है-पति कयलनंगा जामो का रिपबम, बालमन मोय. 1 भामिकाभरना पहिरतकुमणामा पारनपी यानी 24.2 एक प्रकार का गोमातन-हरूमुझे मामला रचनाका लमाण. सकारात्म! मुकाम पर मामास्थापयित्वात पपासनापन पत्निी पपापा। स्तनमा परा का निमेषण, शाम ! पर्यन यो मन्, अतः परिमा मान, आरा निरास पिरनुका विषेवर। निगम-स्ता) सक्ष्मी का नाम -कनिमा मङ्गम -frj - 11 पद पा पमिको वाया कमीवकोप, कतिका काम का मिला फल, मलो. 2 ग या पथक मागनं पाग-1 गह या का कमपत का रंषा-चोर द, पानी, गथ, बटिया, 1 सामरिक्ष मम माकारको । का चार पानी में काममषित गकियों को पुज-म-बमार कमलों -मदीपसरलाना मपंच। -गणित का पूरी कर गधाला ५. पय अनुरण्टी परिता या रुमत की सी गवनाकाल .. shrI, नि । विवारच . चिर का विशेषण : मरिमा रजनन पा-१ | नाप . मुचा गाभन को ऐसे रोक बिसंचन पद पग ] 1 + म संग ! २५ गार।


ॉमिन-ब-बमा

के निधन - कमल का साधार | न ( उभर-निजे, पनागर दा गरिस) बटम-नाम-भि गिण का लिांग-मान | पनप स्तम च-पनर अपन1 कट- मावा रक्षातिरला. 'म' | मामा का समाधान 14T का मिनप इनका को-नकायका कर। मएका विमा, पुन मगंगार का पौर, पचि गा-नि-पान पाया। च. एक प्रकरनी हात्रिम रखना हिचको। मान में यन्न। समास में म्पपस्थिर किया गया I..! [प+: निरमा रूपा मनो.-:.- सा. एक नीचे नयां शुमा मारित लाभा-२० प्राषिप, रसु. १५.101.रेखा पा। नम:- मग सर्प का पन्ना बता कमर मूलनकारीका एगा -1.६३) सांसा 'मटि: बापत पनमा होने का काम है. कामाला 'm,"नानानिय का निरोक मिर्गपण - पपिपासकाइम ---पिता का फि. दिवस या का मौसमी नमः । बा पिपत्र : कविया इनो समस्या सोनई दिय किन बन्दमा ! सूर्प । विश्वम-बाता मी का विषेषः । भूमि। [...] पालन-पोषण कान समयचक मानकर को पर मला, की नागपूवी.) पात्रो गल्ता, ना कि नाब मो. चार र पुनियाठिका. गीग पावन की विदोन मा । पपा | पान भनि माध्यांदीन- या यिम् मुगलमाय. पति (प.) [गया- परि | 1 बाबो : गांगन नारदमध क.एक रोम-दाप गामिन की। करमरकर , भट्टिा भारतले [पय पतए, बाबा बोच ] | मी का शस्त दमण में एक नन का नाम । विशेषण लजकी का नाम-मा...। पमा निमः।। पर - अमृग पायम. वामदेवक पपि) [14-कनि । । कपस खरे माता गनी 2 पूष व मन मुलनामा मल विषम निसर्ग पु-नी 1 पल का पौधा -रा. (ममा दोगो दूरसव व विभत् पानी पानाम-m प्रर्व मनिष )ी पणों में पूर्व भ्पत ५. सा. मे. गर्षिक: बोनस कर 'पपी' ही माता ।। माता, का पहरोवर का मोह मिमर्य कम को हरी पक्षानेदा. हम --11ोला । हाम-काम् भोला- जाप हनी तिपालका ने स्वयाचार। पा लगेकर,-- (ए. माम-नाल -पेर. ७. ११५ पार {पु.] मोर