पृष्ठ:सत्यार्थ प्रकाश.pdf/२२६

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-- 2 १ रrकाशः ! - " ", "ज = पाल । । वेदों को प्रकाशित किया है जिससे मनुष्य अवेद्यान्धकार भ्रमजाल से छूटकर विद्या विज्ञानरूप सूर्य को प्राप्त कर अत्यानन्द में रहे और विद्या तथा सुखों की वृद्धि करते जायें ।' प्रश्न ) वेद निस्य हैं या अनित्य ? ( उतर ) निस्य हैं क्यों कि परमेश्वर के नित्य होने से उसके ज्ञानादि गुण भी नित्य हैं जो नित्य पदार्थ हैं उनके गुणकमें, स्वभाव निस्य और अनित्य द्रव्य के अनित्य होते हैं । (श्} क्या यह पुस्तक भी नित्य है ?' उत्तर ) नहीं, क्योंकि पुस्तक तो पत्र और स्याही का बमा है वह नित्य कैसे हो सकता है ! किन्तु जो शब्द अर्थ और सम्बन्ध हैं वे नि स्य हैं ( प्रश्न ) ईश्वर से उन ऋषियों को ज्ञान दिया होगा और उस ज्ञान से उन 1 लोगों ने वेद बना लिये होंगे ? ( उत्तर ) ज्ञान रॉय के विना नहीं होता गययादि | छन्द षड्जादेि और उदातानुदातदि क्बर के ज्ञापूर्वक गायध्यादि छन्दों के । } निर्माण करने में सर्वज्ञ के बिना किसी का सामर्य नहीं है कि इस प्रकार सवेझान से युक्त शास्त्र बनासकें झा : वेद को पढ़ने के पश्चात् व्याकरण निरु क्त और छन्दु आदि | श्रेय ऋषि मुनियों ने विद्याओं के प्रकाश के लिये किये है जो परमात्मा में दो का प्रकाश न करें तो कोई कुछ भी न बना सके इसलिये वेद परमेश्वरोत हैं इन्हीं के ; अनुसार सत्र लागों को चलना चाहिये और जो कोई किसी से पूछे कि तुम्हारा क्या मत है तो यही उत्तर देना कि हम सत बद अथत जो कुछ वेदों में कहा हैहम उसको मानते हैं अब इस के आगे पुष्टि के विषय में लिखेंगे ! यह संक्षेप से ईश्वर और वे- दबिपस में व्याख्यान किया है ॥ ७ 1 ॥ इति श्रीमदयानन्दसरस्वतीस्वामिकृते सरैयार्थ- .. . 4 में - २ प्रकाश सुभषिाभूपिंतदृश्वरचंदविषये सप्तमः समुल्लासः सम्द्णः : ७ ॥