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समर-यात्रा
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गये और वे कुछ न कर सके । अब वे मुँह कैसे दिखायें! हर एक मुख पर गहरी वेदना झलक रही थी। जैसे गांव लुट गया हो।

सहसा नोहरी ने चिल्लाकर कहा---अब सब जने खड़े क्या पछता रहे हो ! देख ली अपनी दुर्दशा, या अभी कुछ बाकी है ! आज तुमने देख लिया न कि हमारे ऊपर कानून से नहीं, लाठी से राज हो रहा है और हम इतने बेशरम हैं कि इतनी दुर्दशा होने पर भी कुछ नहीं बोलते । हम इतने स्वार्थी,इतने कायर न होते, तो उनकी मजाल थी कि हमें कोड़ों से पीटते ? जब तक तुम गुलाम बने रहोगे, उनकी सेवा-टहल करते रहोगे, तुम्हें भूसा-चोकर मिलता रहेगा ; लेकिन जिस दिन तुमने कन्धा टेढ़ा किया, उसी दिन मार पड़ने लगेगी। कब तक इस तरह मार खाते रहोगे ? कब तक मुर्दो की तरह पड़े गिद्धों से अपने को नोचवाते रहोगे ? अब दिखा दो, कि तुम भी जीते-जागते हो और तुम्हें भी अपनी इज्ज़त-आबरू का कुछ खयाल है । जब इज्जत ही न रही, तो क्या करोगे खेती-बारी करके, धन कमाकर ? जीकर ही क्या करोगे ? क्या इसी लिए जी रहे हो, कि तुम्हारे बाल-बच्चे इसी तरह लातें खाते जायँ, इसी तरह कुचले जायें ? छोड़ो यह कायरता! आखिर एक दिन खाट पर पड़े-पड़े मर जाओगे, क्यों नहीं इस घरभ की लड़ाई में आकर वीरों की तरह मरते ! मैं तो बढ़ी औरत हूँ; लेकिन और कुछ न कर सकूँगी, तो जहां यह लोग सोयेंगे, वहाँ झाड़ तो लगा दूंगी, इन्हें पंखा तो झेलूंगी!

कोदई का बड़ा लड़का मैकू बोला---हमारे जीते-जी तुम जाओगी काकी,हमारे जीवन को धिक्कार है ! अभी तो हम तुम्हारे बालक जीते ही हैं ! मैं चलता हूँ उधर । खेत-बारी गंगा देखेगा।

गंगा उसका छोटा भाई था। बोला---भैया, तुम यह अन्याय करते हो। मेरे रहते तुम नहीं जा सकते । तुम रहोगे, तो गिरहस्थी को संभालोगे। मुझसे तो कुछ न होगा। मुझे जाने दो।

मैकू ---इसे काकी पर छोड़ दो। इस तरह हमारी-तुम्हारी लड़ाई होगी। जिसे काकी का हुक्म हो, वह जाय ।

नोहरी ने गर्व से मुसकिराकर कहा---जो मुझे घूस देगा, उसी को जिताऊँगी।