में भी नहीं मिलता और यह अन्धे हैं कि बच्चे पर बच्चे पैदा करते जाते हैं। संतान-निग्रह-बिल' की इस समय देश को जितनी ज़रूरत है उतनी और किसी कानून की नहीं। असेंबली खुलते ही यह बिल पेश करूँगा। प्रलय हो जायगा, यह जानता हूँ। पर और उपाय ही क्या है। दो बच्चे से ज्यादा जिसके हों उसे कम से कम पांच वष की कैद, उसमें पांच महीने से कम
काल-कोठरी न हो। जिसकी आमदनी १००) से कम हो उसे संतानोत्पत्ति का अधिकार ही न हो। ( मन में उस बिल के बाद की अवस्था का आनन्द लेकर ) कितना सुखमय जीवन हो जायगा ! हाँ, एक दफा यह भी रहे कि एक सन्तान के बाद कम से कम ७ वर्ष तक दूसरी सन्तान न आने पाये। तब इस देश में सुख और सन्तोष का साम्राज्य होगा, तब स्त्रियों और बच्चों
के मुंह पर खून की सुखी नज़र आयेगी, तब मज़बूत हाथ-पांव और मज़बूत दिल-जिगर के पुरुष उत्पन्न होंगे।
(मिसेज़ क़ानूनी कुमार का प्रवेश)
कानूनी कुमार जल्दी से रिपोर्टो और पत्रों को समेट देता है और एक उपन्यास खोलकर बैठ जाता है।
मिसेज़ -- क्या कर रहे हो? वही धुन !
क़ानूनी -- एक उपन्यास पढ़ रहा हूँ।
मिसेज़-तुम सारी दुनिया के लिए कानून बनाते हो, एक कानन मेरे लिए भी बना दो, इससे देश का जितना बड़ा उपकार होगा, उतना और किसी कानून से न होगा; तुम्हारा नाम अमर हो जायगा और घर-घर तुम्हारी पूजा होगी।
कानूनी-अगर तुम्हारा ख़याल है कि मैं नाम और यश के लिए देश की सेवा कर रहा हूँ; तो मुझे यही कहना पड़ेगा कि तुमने मुझे रत्ती भर भी नहीं समझा।
मिसेज़-नाम के लिए काम करना कोई बुरा काम नहीं है और तुम्हें
यश की श्राकांक्षा हो, तो मैं उसकी निन्दा न करूँगी! भूलकर भी नहीं। मैं तुम्हें एक ही ऐसी तदबीर बता दूंगी, जिससे तुम्हें इतना यश मिलेगा कि