पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२२६

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श्रागे बढ़ना [?] साम्प्रदायिक समस्या एक समाजवादी दृष्टिकोण (१६४५)* सारा संसार संकट-काल में से गुजर रहा है और भारत उसका कोई अपवाद नहीं है । वह संकट इतना गहरा है कि प्रत्येक मानव- कार्य क्षेत्र पर उसका भारी प्रभाव पड़ा है । अब पुरानी स्थिति और अवस्थाओं को फिर ले पाना असंभव होगया है। सब ओर पुरानी संस्थायें ढहती जा रही हैं, और नवीन संस्थाये और विचार परम्परायें उनका स्थान लेती जा रही हैं । इस संकट-काल में यदि हम अवसर के अनुकूल ऊपर उठकर रचनात्मक योग्यता, नीतिज्ञता, और साहस का परिचय देंगे तो हमारा सम्पूर्ण भविष्य खटाई में पड़ सकता है । हम इस समय चौराहे पर खड़े हैं, और एक भी गलत कदम हम गलत रास्ते पर लेजा सकता है । अतः हम अाज जो मार्ग चुनेगे उसपर बहुत कुछ निर्भर करेगा।

  • असोशियेटेड प्रेस आफ इण्डिया को लखनऊ में २२ जून सन्

१६४५ को एक भेंट में दिया गया। १६६