पृष्ठ:समाजवाद और राष्ट्रीय क्रान्ति.pdf/२५३

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क्योंकि भारत के पास कोई कहने लायक जल-सना नहीं है, अतः जब तक भारत एक शक्तिशाली जल-सेना रखने की स्थिति में न हो जाय, तब तक के लिए वे ब्रिटिश जल-सेना का भारतीय तट की रक्षा करने का हक रखेंगे। वे निश्चय ही उस रक्षा कार्य का एक भाग प्रारम्भ से ही भारत की दे देगे परन्तु ~ कि अागामी अनेक वर्षों तक भारत अपना जहाजी बेडा नहीं बना सकेगा इसलिए त्रिटिश जल-सेना भारतीय तटों रक्षा करती रहेगी। इङ्गलैण्ड सामाज्य के हितों में, भारत से कम से कम युद्ध-कालों में कुछ जहाजी और सामरिक अड्डों की भी मांग करेगा । बाहरी अाक्रमण सं भारत की रक्षा के लिए त्रिटिश सेना को भारत में रखने की बात पर हमारी सहमति प्रात करने का भी प्रयास किया जा सकता है। हम इन सव चालों का डटकर प्रतिरोध करना चाहिये। ब्रिटिश सेना को भारत से जाना ही होगा। भारतीय सेना जैसी कुछ भी है, हमारे लिए ठीक है । उसमे जो कमियाँ हैं, वे अन्त- र्राष्ट्रीय सहयोग द्वारा पूरी की जा सकती है । फिर हमे इस बात की भी कोई आशङ्का नहीं है कि ब्रिटिश लोगों के भारत छोड़ने के पश्चात् कोई बड़ी शक्ति हम पर हमला करेगी। सेना के विषय में कोई सुविधाये देना हमारे लिए विपत्ति-पूर्ण सिद्ध हो सकता है। इस सम्बन्ध में इस प्रश्न का उत्तर देना सार्थक होगा कि भारत औपनिवेशिक दर्जा क्यों नही चाहता । औपनिवेशिक स्वराज्य के विषय में जो अापत्ति उटाई जाती है वह केवल भावना- त्मक नहीं है । उसके पीछे ठोस कारण हैं । प्रथम तो, भारत ब्रिटिश राष्ट्रमंडल के अन्य सदस्यों सं सांस्कृतिक और जाति में भिन्न है । दूसरे, जिस दक्षिण अफ्रीका में इतना रंग-विषयक भेद भाव है और