१६२ समाजवाद : पनीयाद शुरू-शुरू में अपनी सती की धाक जमा दी। 'चका सरकारी नौकरी में जिम्मेदार्ग की भावना लाने में सफल हुा । उसके दयाच तले उन्होंने मामून किया कि यदि ये जान-यूम कर सरकारी काम को नुकसान पहुंचायेंगे तो टन गोली में उदा दिया जायगा या ग़लती की तो उनकारन पदभ्रष्ट कर दिया जायगा । इसका नतीजा यह हुआ कि रोजमर्रा का निर्दिष्ट काम बराबर होने लगा। किन्नु इंजीनियरों और बिजली विशेषज्ञों की पति इससे न हुई, जिनकी कि बड़ी तादाद में रूम को थावन्यरना थी। रूमी सरकार ने अमेरिका में इंजीनियर युनाये। उन्होंने बनाया कि किस प्रकार कारमानों का निर्माण और प्रयन्ध करना चाहिए। टनकी देस-देय में योगेपीय और पशियाई रूम में नये-मे-नये रंग के फौलाद और कांच के कारखाने बड़ी तादाद में मुले भोर या पाशा की गई कि अब श्रापश्यक सामग्री वो परिमाण में तैयार होने लगेगी। किन्नु जिन मजदूरों को इन फारम्पानों में काम पर लगाया गया, ये विन नये थे और जानते न थे कि क्रिम प्रभार यंत्रों का उपयोग फरना चाहिए । फलस्यल्प नाही पचाय ट्रेक्टर रोजाना नयार होने की बागा की गई, वहाँ मुरिफल से नीन-चार तयार होते और ये भी टीक तरह काम न कर पाते, किन्तु सरकार ने हिम्मत न हारी और अमेरिकनों के अलावा बेल्जियम, इंग्लएट, जर्मनी श्रादि देगों से साधारण मजदूरों का नेतृत्व करने के लिए कुशल कारीगर युलाये । इसके बाद कारगने और तरह से काम करने लगे। कुछ ही थमें याद रूसी लोगों ने इन कारस्तानी का संचालन अपने हाथों में ले लिया । जगा-जगह याँध बांधे गये और नहरें निकाली गई। कैदियों को इन कामों में लगा दिया गया । जेलों की थोथी मशयत से यह काम युद कैदियों को भी बढ़ा लाभदायक प्रतीत हुधा। इस बीच व्यापारी अपना काम करने रहे। रूस में किसानों का एक वर्ग है जो 'कुलक' कहलाता है। ये विशाल पैमाने पर सेती किया करते थे। बोल्शेविक सरकार ने मार्स के सिद्धान्तों के अनुसार इनकी
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